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Lingraj Majhi

Inspirational

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Lingraj Majhi

Inspirational

आओ प्रण ले

आओ प्रण ले

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भाग्य से विधान तक

पसीने से रक्त तक 

वो इंसान अपनी दिन रात 

एक कर देता है ....

अपनी मेहनत 

अपनी जिस्म जॉन

लगा देता है 

लेकिन काम दूसरों का दिया हुआ होता है

कमबख्त 

सिर्फ दो रोटी और कुछ सब्जी के लिए....

साहब! हम उनके काम के

पैसे तो दे देते है ,

पर क्या हम उनका 

पसीने के ऋण चुका पाएंगे ?

जो इमारत हमने बनवाया है

इसके हर एक इंच पर

जो उनका मेहनत लिखा हुआ है 

क्या हम उसे पोछ पाएंगे ।

अगर नहीं 

तो प्रण ले आज

के उनके स्वाभिमान का ध्यान रखेंगे 

उन पर दया नहीं, 

उनके ईमान का स्वागत करेंगे ।

हो अगर कुछ उनको तो

एहसान नही 

संवेदन ब्यक्त करेंगे ।



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