क्योंकि एक लड़की है वो
क्योंकि एक लड़की है वो
मर्यादा की चौखट उसने
कभी पार नहीं की
वो उतना ही बोली,
जितने उसकी संस्कार हो
अच्छे कपड़े पहनना,
सज धज से निकला
उसे बेहद पसंद है,
पर खुद को वहां तक ही रखी
जितना घर के मुखिया का कमाई हो
खिल खिलाती कोमल सी फूल है वो
घर की आन मान शान है वो
पाप की लाडली और
माँ की धड़कन है वो
स्वाभिमान से जीना जानती है वो
क्योंकि एक लड़की है वो।