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Ahmak Ladki

Drama

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Ahmak Ladki

Drama

खाली हाथ आया

खाली हाथ आया

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न सितम कम हुए, न तू बाज़ आया

एक बादशाह तेरे कूचे से बर्बाद आया।


दिल में उठता रहा जज़्बात-ए-ग़ुबार

बाहरी रौनकों पर ना एक भी दाग आया।


जैसे-तैसे बच गई आबरू मेरी

बाद रोने के वो मेरा सैयाद आया।


सुनता रहा उसको बड़ी देर तसल्ली से

किस्सा अपना न कोई मुझे याद आया।


वो सामने बैठा तो कोई एहसास न था

उसके जाते ही हसरतों का सैलाब आया।


कहने को तो मेरे शहर में मेहमाँ था वो

वो जो आया, चराग़-ए-मुराद आया।


जिसकी नज़रों में रहने को की शायरी

मुद्दतों के बाद उसका इरशाद आया।


झोली भर कर गया मैं उसके दर "अहमक"

लौटा तो फिर से खाली हाथ आया।


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