कह दो
कह दो


गर इश्क़ बेपनाह है उनसे
तो क्यूँ घबराते हो ये कहने से
कह दो कि निगाहों के दर्पण में तुम हो
कह दो कि दिल की धड़कन में तुम हो
कह दो कि ख़्वाबों की गलियों में तुम हो
कह दो कि चटकती कलियों में तुम हो
कह दो कि सूरज की रौशनी में तुम हो
कह दो कि चन्द्रमा की चाँदनी में तुम हो
यूँ बात ना बनेगी गुमसुम चुप रहने से
अब कह भी दो उनसे कि मोहब्बत हो गई है तुमसे।