कच्ची मिट्टी
कच्ची मिट्टी


अभी तो कच्ची मिट्टी हूँ मैं,
मेरे फर्ज़ बता कर मुझे मत पकाओ,
मेरे सपनों की आग में पकना है मुझे,
मेरे आँसूओं से ही मुझे मत पिघलाओ
पंख मेरे है, उड़ान भी मेरी,
किस गगन में जाऊँ, मुझे मत बताओ,
अभी तो कच्ची मिट्टी हूँ मैं,
मेरे फर्ज़ बता कर मुझे मत पकाओ,
नींद मेरी है, ख़्वाब भी मेरे,
किस बिस्तर पर आँख लगाऊं,
मुझे मत बताओ
जब शब्द मेरे है, और कलम भी मेरी,
किन अल्फाजों से कागज़ सजाऊँ, मुझे मत बताओ
अभी तो कच्ची मिट्टी हूँ मैं,
मेरे फर्ज़ बता कर मुझे मत पकाओ,
ज़ज़्बात मेरे है, ख्याल भी मेरे,
कब कौन सा गीत गाऊं, मुझे मत बताओ
कह देती हूँ जो दिल में है, अगर
हाँ, हूँ मैं मुहँ फट, मुझे मत बताओ,
चुप भी हूँ तो है ये भी मेरी मर्ज़ी,
कब रिश्ते निभाऊ, मुझे मत सिखाओ
जो चुभती है तुम्हें मेरी बात कभी,
बिना वजह बताए, मुझे आँख मत दिखाओ
और जो कह रही हूँ बात अभी,
उसे अनसुना कर के यू ही मत दफनाओ
अभी तो कच्ची मिट्टी हूँ मैं,
मेरे फर्ज़ बता कर मुझे मत पकाओ
देख रही हूँ ना, अपनी आँखों से दुनिया,
क्या गलत है, क्या सही मुझे मत सिखाओ