STORYMIRROR

कभी नही

कभी नही

1 min
26.9K


वो जाने को कह रही है।

दिल ना दिमाग हाँ कह रहा है।


ना रूठी है, ना ही गलती है मेरी।

लबों पे उसके मेरे लिए घृणा है।


इतनी नफरत कैसे हो गई !

क्या मेरी जरूत कहीं और से पूरी हो गई ?


अरे नहीं ! नहीं इलज़ाम नहीं लगा रहा हूँ।

मुझमे ही कोई कमी होगी जो बता रह हूँ।


एक पल बैठ कर बातें कर लो ना।

जो गिले शिकवे हैं, दूर कर लो ना।


दिल में हैं, जो बोल दो।

अपने दिल का हाल, मेरे दिल को बता दो।


हाँ, नम है मेरी आँखें, तुझे मालूम है।

फिर तेरे लब पे क्यों खामोशी है ?


तू किसी बात से मजबूर है ?

मैं तेरा हूँ, मुझसे छिपाना क्या अच्छा है !


चल तू चली जा, मैं नहीं रोकता।

रास्ते ना मिले तो यहाँ रास्ता यही है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama