कुछ जज़्बात
कुछ जज़्बात
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खुलकर बात कर लिया करो,
दिल में रही बाते रिश्ते तोड़ देती है।
तुम एक किताब थी,
मैं नींद दूरी बढ़ती गई
शाम कि शाम हो गई,
शहर जो तू छोड़ गई
दूर हो तुम इस शहर से
जो कभी मेरा हुआ करता था।
