कब तक सहेंगे हम
कब तक सहेंगे हम
अपना अपना जख्म,
कब तक सहते रहेंगे हम।
मां बहनों के साथ होते नृशंस
अत्याचार
बढ़ता चहुं और हाहाकार।
कह दिया रक्षाबंधन पर अपनी बहन बेटी को इस बार।
बेटी डरना नहीं किसी से।
कोई बदनियती से छेड़े अगर तुमको,
भले ही मार डालना तुम उसको।
नृत्य गायन में प्रवीण होने से पहले आत्मरक्षा तुम सीख लेना।
चकला बेलन कढ़ाई सिलाई सीखने के साथ-साथ तलवारबाजी भी सीख लेना।
कई नर पिशाच भी घूमते हैं यहां नर के भेष में,
सबको अपने पिता और भाई के जैसे समझ कर उनकी मीठी बातों में ना फंसना।
कोमल मन लिए हुए बहुत से नर अपनी भगिनी माता का सम्मान करना भी जानते हैं
परंतु नर पिशाच अपनी मां को भी कहां जानते हैं।
बेटी नर पिशाचों से डर तो पुरुषों को भी होता है
कभी यह मत सोचना कि डरना केवल बहन बेटी को ही होता है।
बेटी तू सीख अपने आत्मसम्मान की रक्षा करना , दुर्गा, चंडी बनकर पापियों को संहार दे।
हम सदा ही तेरे साथ हैं,
तू बाज सी ऊंची उड़ान ले।
भय, निराशा के विचारों को भी आज ही तू त्याग दे।
आत्मरक्षा करनी हो खुद की तो आततायियों के निडर होकर प्राण ले।
