कौन रहबर है इसका पता तो चले
कौन रहबर है इसका पता तो चले
कौन रहबर है इसका पता तो चले।
मैं अगर थक गया काफिला तो चले।
हम चिराग़ों को जलने का आए हुनर।
सामने से मुखालिफ हवा तो चले।
किस लिए हो खफा,किस लिए गमज़दा।
मेरी गुस्ताखियां कुछ पता तो चले।
हां इफाका न होगा मेरे मर्ज़ में।
चारागर मेरे, मेरी दवा तो चले।
बात शुरुआत हो, इक मुलाकात की।
पास बैठो मेरे सिलसिला तो चले।
न "सगी़र" अब ज़माने की परवाह हो।
दूरियां जितनी हैं सब मिटा तो चले।
