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Rashminder Singh

Abstract

4.6  

Rashminder Singh

Abstract

कौन हूँ मैं

कौन हूँ मैं

1 min
364


सच, सपना या पहेली हूँ मैं

बहन, बेटी, माँ या सहेली हूँ मैं


कोई तो मुझको देवी कहता

कोई सृष्टि का रचयता कहता 

कभी प्राचीन, कभी नवेली हूँ मैं 

सच, सपना या पहेली हूँ मैं


आवाज़ से मेरी सारा घर चहका 

फूल सी बेटी से आँगन महका 

गुलाब, कमल या चमेली हूँ मैं 

सच, सपना या पहेली हूँ मैं


खरीदी राखी मैंने कलाई के लिए 

मांगी खुशियां मैंने भाई के लिए

बहन बन भाई संग खेली हूँ मैं 

सच, सपना या पहेली हूँ मैं


बनके बहु लगी सबको प्यारी सी 

अब नई दुनिया ये लगे न्यारी सी

मेहंदी लगी हाथों की हथेली हूँ मैं

सच, सपना या पहेली हूँ मैं


फिर मैंने नया जीवन जिया

जब नन्हे को मैंने जन्म दिया

माँ बन सब दुःख झेली हूँ मैं 

सच, सपना या पहेली हूँ मैं


फिर क्यों मुझे पैदा होने से पहले मारते

आके लालच में मुझे ज़िंदा साडते

हो ना सकी अपनी, क्यों सौतेली हूँ मैं 

सच, सपना या पहेली हूँ मैं 

सच, सपना या पहेली हूँ मैं।


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