कैसे तुम्हे बताऊॅं...
कैसे तुम्हे बताऊॅं...
तेरी चाहत ही मेरी ज़िन्दगी थी, तुम्हे क्या बताऊॅं
मरता था तुमपे और तुमपे ही ज़िंदा हूँ, तुम्हे क्या बताऊॅं
ईश्वर की तरह पूजता हूँ सर आॅंखों पे बिठा के
प्यार करता हूँ तुम्हे हद से ज़्यादा, तुम्हे क्या बताऊॅं...
यह तो वक़्त की बात है की चाहत ना मिली तेरी
कोशिश तो सब की पर बना सका ना तुझे मेरी
कोई गम नहीं मुझे - तेरी ख़ुशी मेरी ज़िन्दगी है
तू हॅंसती रहे सदा, ये ही है बंदगी मेरी...
साथ रहूँगा तुम्हारे, हो चाहे कोई भी गम
पर खुशियों में मिलूंगा तुझको मैं बहुत ही कम
देख नहीं सकता तुम्हे कभी दर्द में, यही मेरी फितरत है
पाए ना पाए पर बेइंतेहा तुमसे प्यार करते रहने हम...
लोगों के लिए तू आम होगी पर मेरे लिए खास
रहूॅं तेरे साथ हमेशा यही है मेरी आस
आओ मेरी ज़िन्दगी में या फिर चलो अपनी राह पर
रूह है तू मेरी, बिन तेरे कभी बुझेगी ना यह प्यास...
दुनिया क्या, यह जान भी तेरे कदमों में न्यौछावर कर दूॅं
तेरी ख़ुशी के लिए दुनिया के सारे उसूलो को बाजू कर दूॅं
हॅंसती रहे सदा और सारे जहाँ की खुशियाॅं तुझे मिले
जो भी दर्द आये तेरे पास, उसकी सारी दवा मैं कर दूॅं...
