कैसे-कैसे लोग
कैसे-कैसे लोग
इस दुनिया मे कैसे-कैसे लोग है
इस दुनिया मे कैसे-कैसे रोग है
हर आदमी का रास्ता रहे रोक है
इस दुनिया मे कैसे-कैसे जोंक है
कुछ का तो ईलाज़ हो जाता है,
कुछ का ईलाज नहीं हो पाता है,
इस दुनिया मे कैसे-कैसे कोढ़ है
आज पत्थर भी पिघल जाते है,
पर कुछ इंसां मग़रूर पाये जाते हैं,
इस दुनिया में कैसे-कैसे छोंक है
इस दुनिया में कैसे-कैसे लोग है
कुछ लोग नाच न जाने आंगन टेढ़ा,
फिऱ भी ख़ुद को समझते हैं पेड़ा,
इस दुनिया मे कैसे-कैसे चोक है
आज लोग नहीं कर रहे हैं सेवा,
मजबूरों का खा रहे हैं वो में वाइस
दुनिया मे कैसे-कैसे भोग है
सादगी को मूर्खता समझते हैं,
दिखावे को विद्वता समझते हैं,
इस दुनिया में कैसे-कैसे शौक है
इस दुनिया में कैसे-कैसे लोग है
इन कैसे-कैसे लोगों से साखी,
नहीं माँगना कभी भी तू पाती,
इनको बता देना तू इनकी जाति,
तुझे बनना है गुलाब की नोक है
कैसे-कैसे लोगो को देना रोक है
इस दुनिया में कैसे-कैसे मोड़ है,
हमारी रूह को भी रहे वो तोड़ है,
माना इन मोड़ों पर बड़ा ख़तरा है,
दरिया में छिपा लहरों का कतरा है,
इन कैसे-कैसे लोगों के
मोड़ से निकलनेवाला
आदमी ही, साहिल को
पाता अपनी ओर है।