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Sangeeta(sansi) Singhal

Tragedy Inspirational

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Sangeeta(sansi) Singhal

Tragedy Inspirational

कैसा प्रीतम

कैसा प्रीतम

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विषय - ख्वाबों का मंजर


ख्वाबों का मंजर सजता जब

जब कुछ आशा मन में होती?

जब नींद नहीं है आंखों में तो ख्वाबों की बस्ती कैसे बस्ती?

भूखा पेट सूखी आंख , बस भोजन को ही है, तरसती

जिनके पास था भोजन जो ,वह कूड़ेदान की शोभा बनती।।

एक दिन व्याकुल भूख से शादी के एक मंडप से,

मैं लेकर भागा पत्तल झूठी, नजर बचाकर सभी से,

फिर भी डंडा लेकर भागा, गिर गया खाना सारा डर से।


कुत्ते खा रहे थे भोजन मैं तक रहा था ओट से,

पत्थर मार भगा दूं इनको शायद कुछ मिल जाए उस खूंट से।

भरो भरो को सब खिलाते भूखे को सब भगाते।।

मोमबत्ती को बुझाते, केक काटन को चाकू उठाते,

परंपरा वह कितनी अच्छी थी जब तुलादान करवाते थे।। 

भूखों को भोजन मिलता था।

जब जन्मदिन मनाते थे।।

आज सुखी संपन्न हूं इतना।

पर ख्वाबों का मंजर नहीं सजाता ।।


ख्वाब हकीकत बन उभरे।।

मेहनत हुनर की बात सिखाता।। 

ख्वाबों के मंजर को सजाने में

क्या प्रियतम की जरूरत है ??

दिशा सुभाष और विरेन्द्र के हो जैसी ।

तब भारत मां पर सजती मुस्कुराहट है



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