कैरेक्टर (चरित्र)
कैरेक्टर (चरित्र)
जब हम अकेले होते हैं,
और जो क्रियाएँ करते हैं,
वही हमारा,
कैरेक्टर होता है।
अन्यथा हम,
एक दूसरे के सामने,
हमेशा बनने का,
प्रयास करते है।
और एक दूसरे के जैसा,
बनने के चक्कर में,
हम अपना,
वास्तविक कैरेक्टर,
भी खो देते हैं।
अकेले में हमारे अंदर,
जो इंसान होता है ,
और हम पर किसी की,
नजर नहीं होती है,
वही हमारा कैरेक्टर होता है।