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क़ैद से तुझे आज़ाद करता हूँ

क़ैद से तुझे आज़ाद करता हूँ

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तुम्हें मालूम नहीं

कि मैं तुमसे,

कितना प्यार करता हूँ,

हद से भी ज्यादा

एतबार करता हूँ,

तुम्हें पता भी नही कि

तुझपे जान

निसार करता हूँ,

तुम्हें लगता कि

तुम गुलाम हो मेरी,

तुम्हें बदनाम करता हूँ,

चलो मेरे साहिब आज

अपनी कैंद से तुझे आज़ाद करता हूँ!


तेरे अश्क बहें तो

रूमाल बन जाता हूँ,

धूप लगे तो

जुल्फ का घना

छाँव बन जाता हूँ,

तुम्हें ज़ख्म हो तो

मरहम करार बन जाता हूँ,

तुम्हें लगता है कि मैं

दिखावा करता हूँ,

तुम्हें बदनाम करता हूँ,

चलो मेरे साहिब आज

अपनी कैद से तुझे आज़ाद करता हूँ!



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