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Pinky Dubey

Abstract Classics Children

4  

Pinky Dubey

Abstract Classics Children

काश मेरे पापा भी होते

काश मेरे पापा भी होते

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मेरी नन्ही नन्ही आँखे जब खुली

तोह ढूंढ रही थी उन्हे

हर बच्चे की तरह मैंने भी

चाह की मुझे भी वोह गले से लगाए

मुझे भी प्यार करे


जब मेरे रिज़ल्ट डे हो हर पापा की तरह

मुझे कम मार्क्स आने पर चिलाए

मगर दिल के अरमान दिल मे ही रह गए

याद हमेशा उनकी आई

जब सबके बच्चो के पापा आए


मेरी आंखे भी तरसती

की काश मेरी भी पापा होते

मुझे गले से लगाते

हमे भी बहार गुमाते

मगर दिल के अरमान दिल मे ही रह गए

काश मेरे पापा मेरे पैदा होने के

दो साल बाद नहीं जाते


याद हमेशा उनकी आती है

हर पापा मे अपने पापा को ढूंढती हू

की काश मुझे भी पिताह का प्यार मिलता

काश वोह हमारे साथ होते

हमे भी प्यार करते

मेरी आंखे आज भी कोइ पिताह अपने बच्चे को प्यार करते है


तोह मुझे अपने पापा की याद दिल देती है

काश मेरे पापा भी होते।


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