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Sangeeta Ashok Kothari

Children

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Sangeeta Ashok Kothari

Children

काश! कोई लौटा दे बचपन के वो दिन

काश! कोई लौटा दे बचपन के वो दिन

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काश! कोई लौटा दे वो बचपन के दिन,

जब घंटों खेलते थे भोजन,पानी बिन,

ज़िन्दगी थी कंप्यूटर मोबाइल के बिन,

आज भी यादों में बसा है वो हरेक दिन।


जब घर का सामान ही खिलौने होते थे,

रसोई से सामान लेकर घर-घर खेलते थे, 

बड़े व मोटे गत्ते के डिब्बे को घर बनाते थे,

जिसमें साड़ी व चादर का परदा लगाते थे


पढ़ाई-लिखाई,करियर का बोझ नहीं था,

न जानते नाम ट्यूशन किस चिड़ियां का!

बंदिशे,उसूल,टोकना नहीं बस आराम था,

भविष्य की चिंता से परे,स्वर्णिम दौर था।


ना रंगों में भेद ना धर्म-जाति का बंधन था

ना ही ब्रांडेड कपड़ों,खिलौनों का हौवा था

ना धूप ना बारिश ना ही आँधी का भय था

दोस्त ही दुनियाँ व ज़िन्दगी का मतलब था।



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