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अच्युतं केशवं

Tragedy

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अच्युतं केशवं

Tragedy

कारखानों में सिसकता

कारखानों में सिसकता

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कारखानों में सिसकता

बालपन पिसती जवानी।

और बूढ़े होठ सूखे

मांगते दो घूंट पानी।

झुग्गीयों में जन्म लेकर

झुग्गीयों में मर गये।

जी न पाए एक दिन

मज़दूर अपनी जिंदगानी।



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