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Navya Agrawal

Classics Inspirational

4  

Navya Agrawal

Classics Inspirational

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

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कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी

लिए खड़ो पिचकारी, भरो रंग बिरंगों पानी - 2

अरिरिरि कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी


जब कान्हा ने मोरी चुनरी झटकी - 2

सर से मोरे सखी गिर गई मटकी - 2

मोपे प्रेम गुलाल उड़ाय दियो री

होली खेलत मोहन मुरारी

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी


पकड़ कान्हा को मैंने लट्ठ उठायो - 2

खींचतान में भी वो हाथ ना आयो - 2

गोप संग भागत फिरत है बनवारी

होली खेलन लगो वो लट्ठवारी

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी


मीठी मधुर कान्हा मुरली बजाई - 2

दौड़त खिचत सखी मै चली आई - 2

प्रेम में किया रास अति मनोहारी

खेलत होली संग में फुलवारी

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी


जब कान्हा ने मोरी पकरी कलाई - 2

झूम उठी री दियो जग बिसराई - 2

मोहे अपने ही रंग में रंगाय गयो रे

वो केशव कुंज बिहारी

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी


कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी

कान्हा अड़ गयो रंग लगावन को

सखी लिए खड़ो पिचकारी।


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