काल ने डस लिया
काल ने डस लिया
एक ओर मित्र को काल ने डस लिया
भरी महफ़िल में हमे तन्हा कर दिया
अब कैसे भूलेंगे वो कोलेज वाले दिन,
जिन्हें तूने हरे-भरे से सूखा कर दिया
अभी ख्याली फूल महका ही तो था,
खुदा ने भी कैसा गुनाह कर दिया
दीपक पर,तम का साया कर दिया
एक ओर मित्र को काल ने डस लिया
पहले परमेश्वर,अबकी बार ख्याली
क्या रब तूने घर मे अंधेरा भर लिया
जो तूने दीपों को बुझा चराग कर दिया
खुदा तूने भी कैसा अन्याय कर दिया
गमजदा है,घर सबसे ज्यादा हम मित्र
अब फूलों में भी न रहा है,कोई इत्र
ख्याली तेरे ख्याल से खाली है,चित्र
शीशे में लग रहे है,चेहरे भी विचित्र
एक ओर मित्र को काल ने डस लिया
पर साथ मे हमे यह संदेश धर दिया
जितनी जिंदगी,जिंदादिली से जिओ
रब ने काया,कांच से नाजुक रख दिया
ख्याली तूने जिंदगी में एक सबक दिया
जो काम करो,लगन,ईमानदारी से करो
यही गुण हमने,तुझसे जीभर कर लिया
शिक्षक गणित तूने हर सवाल हल किया
तुम मित्र भले ही शरीर छोड़कर गये हो
पर मन से तो सदैव हमारे साथ रहोगे
बालाजी तुम्हे वो फ़लक का तारा करे,
जिसे देख हम रोज तुम्हे मित्र याद करे
दोस्ती की कसम,तूने मित्र दगा किया
दरिया बीच मांझी किनारा तोड़ दिया
जिस भी लोक रहे, तू बस आलोक रहे
दीप है, तूने दिन में जीवन तम कर दिया।
