काैन हूं
काैन हूं
इन पहाड़ों में, इन हवाओं में
भटक रही हूं इन फिज़ाओं में
मां के दुलार में, बाबा की डांट में
अपनों के सम्मान में, बच्चों के मुस्कान में
कभी भक्त कभी भगवान में
ढूंढो मुझे, मैं कौन हूं।
राधा के श्याम में, मीरा के गोपाल में
सीता के राम में, गीता के सार में
प्रेमी के प्यार में, जीवन श्रृंगार में
धनुष की टंकार में,
पृथ्वी के विनाश में
ढूंढो मुझे, मैं कौन हूं
मैं कौन हूं।