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shaily Tripathi

Romance Classics Inspirational

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shaily Tripathi

Romance Classics Inspirational

जवानी नहीं बुढ़ापे की वफ़ा

जवानी नहीं बुढ़ापे की वफ़ा

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रहा बचपना किसका हरदम, 

यौवन कब किसका ठहरा है, 

मात्र बुढ़ापा वफ़ा निभाता  

यह आकार ठहरा रहता है, 


बाद बुढ़ापा मृत्यु खड़ी है 

साँसों पर उसका पहरा है 

कुछ रहस्य यदि दिल में बाकी 

हैं यदि कुछ ज़ज्बात अनकहे 


कह डालो मत उन्हें छुपाओ 

गहरे घाव बना जायेंगे 

भस्म न होंगे चिता अग्नि में 

साथ-साथ चलते जायेंगे 


मुक्ति, मोक्ष ना मिल पायेगा 

पुनर्जन्म होते जायेंगे 

कह डालेंगे जिस दिन इनको 

मन का बोझ उतर जाएगा


आवागमन ख़त्म होगा और 

परमधाम में बस जायेंगे।


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