जवाब न आया
जवाब न आया
तुम्हारी यादों में लिखे गए,
चिट्ठियों का कोई जवाब न आया।
दिन महीने साल गुजर गए,
तुम्हारा कोई जवाब न आया।।
दर्द ए रुखसत की तुम्हारी,
हाय! ये दिल सह न पाया।
लाख छिपाए आँसू मगर,
नयनों से कुछ भी छिप न पाया।।
नित दिन नयना बस बरस रहे,
तुम्हारे दीदार का कोई ऐतबार न आया।
तुम्हारी यादों में लिखे गए,
चिट्ठियों का कोई जवाब न आया।
विरह की आग शायद तुम्हारा,
दिल कभी समझ न पाया।
हर पल बीते है बरसों जैसा,
तुम को शायद ये समझ न आया।।
रोज़ बजती है घंटी डाकिए की,
पर दरवाज़े पर कोई तार न लाया।
तुम क्या समझोगे दर्द हमारा,
हमारा तनिक भी तुम को, ख्याल न आया।।
हारता है दिल उम्मीदें सारी पर,
तुम बिन कोई रास न आया।
बस आस में है प्यार हमारा,
दिया प्यार का बुझ न पाया।।
रोज़ आती है यादें तुम्हारी,
नींदों में भी मैंने अश्क बहाया।
तुम्हारी यादों में लिखे गए, ii
चिट्ठियों का कोई जवाब न आया।।