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Aryavart Prakash

Romance

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Aryavart Prakash

Romance

लिखता हूँ

लिखता हूँ

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202

लिखता हूँ तुझे तो मैं,

एक ठंडी शाम लिखता हूँ,

एक ही दिल है, वो तेरे नाम लिखता हूँ।

तेरी जुल्फों का खुद को गुलाम लिखता हूँ,

तेरी कमर पे आशिकी मैं तमाम लिखता हूँ।

तेरे होठों को प्याले में जाम लिखता हूँ,

तेरी हँसी को अपनी मैं जान लिखता हूँ।

तेरे आरिज़ को सुबह के नाम लिखता हूँ,

तेरे चेहरे को इबादत का काम लिखता हूँ।

तेरी नज़रों पे क़त्ल का इल्ज़ाम लिखता हूँ,

तेरे इश्क़ में खुद को बदनाम लिखता हूँ।

लिखता हूँ तुझे तो मैं,

एक हसीन ख्वाब लिखता हूँ,

तुझे रेगिस्तान में मिराज का आब लिखता हूँ।


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