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Aryavart Prakash

Romance

3  

Aryavart Prakash

Romance

ए दिल ज़रा संभल कर

ए दिल ज़रा संभल कर

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अब जो कभी दुपट्टे में किसी की,

वक़्त की सूइयाँ फँस जाएंगी।

ए दिल मेरे ज़रा संभालना वो,

फिर उल्फत की रोग दे जाएंगी।


फिर आँखों से नींद दूर होंगी,

फिर यादें कहीं मजबूर होंगी।

बातें चाँद से होने लगेंगी फिर,

किसी के चेहरे की फितूर होगी।


ए दिल जरा संभल के, अब जो कोई,

शर्म से अपना मुंह दुपट्टे में छिपाएंगी।

तिरछी नज़रों से देख, अब जो कोई,

धड़कनों की रफ्तार बढ़ा जायेगी।।


फिर दिन छोटे, रातें लंबी हो जाएंगी,

फिर अपनी सांसें, किसी के नाम हो जाएंगी।

फिर बीच मंझधार में लाकर वो,

किसी और की हो जाएंगी।


ए दिल जरा संभल के, अब जो कभी,

चिट्ठियों में कोई, मोहब्बत के पैग़ाम लिख जाएंगी।

कई हसीन ख़्वाब यादें देकर,

जीने की वो हर वजह ले जाएंगी।

ए दिल जरा संभल के, वो मरने की

फिर एक वजह से दे जाएंगी..



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