मैंने देखा है
मैंने देखा है
वक़्त को वक़्त से पहले गुजरते हुए देखा है,
मैंने नदियों को समंदर से लड़ते हुए देखा है।।
बड़ी बड़ी लहरों को भी, लांघते हुए देखा जिन्हें,
उन कश्तियों को किनारे पर डूबते हुए देखा है।।
एक खौफ सा हो जाता सिर्फ नाम से जिनके,
उन बड़े बड़े तूफानों को रोते हुए देखा है।।
साथ देता न जब भी, कोई अपना इस जहाँ में,
मैंने अंधेरे में भी परछाईं को, साथ चलते देखा है।।
मैंने चाँद को मौसम सा बदलते हुए देखा है,
मैंने सूरज को बर्फ सा पिघलते हुए देखा है।
मैंने चिरागों को आँधियों में जलते हुए देखा है,
मैंने कश्तियों को किनारे पर डूबते हुए देखा है।।