मोहब्बत का इज़हार
मोहब्बत का इज़हार
मुझे याद है वो दिन जब तुम,
सहमी हुई कई सवाल मन में लिए आई थी।
तुम्हे डर था उस बात का जिसका मुझे,
न जाने कब से इंतज़ार था।
तुम्हारी नजरो में मैंने देखा,
हया और बेइंतेहा प्यार था।
वो तुम मारे लाज के अपने दुपट्टे को,
उंगलियों में घुमा रही थी।
सिर्फ दिल की बात कहने में हाय!!
तुम कितना शर्मा रही थी।
मुझे याद है वो दिन जब,
तुम्हारे जैसा ही कुछ मेरा भी हाल था।
जो तुम बताना चाह रही थी,
मैं सुनने को बेकरार था।
मुझे याद है, जब तुमने दुपट्टे से चेहरा छिपा,
अपना हाल ए दिल ब्यान किया था।
शर्मा कर जब भागने लगी तो,
तुम्हारी कलाई मै, गिरफ्त में लिया था।
और फिर, जब हमारी सांसे एक हो गई,
धड़कने न जाने कब की बहुत तेज़ हो गई।
मैंने निगाहों से तुम्हारा जवाब दिया,
हाँ मोहब्बत है तुमसे, इकरार किया।
फिर तुम्हारी लबों को चूमने की कोशिश,
एक झटके से तुमने खुद से अलग किया।
मुस्कुराई, साथ में दिल का सुकून लेकर गई थी।
मुझे याद है वो दिन जब तुम,
सहमी हुई, मोहब्बत का इज़हार करने आई थी।