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Shyam Kunvar Bharti

Tragedy

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Shyam Kunvar Bharti

Tragedy

जुबान की तरह

जुबान की तरह

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आया हवा का झोंका बनकर, गया तूफान की तरह

हालत ऐसी न थी मेरी, अब हुआ उफान की तरह।


जाना ही था जब तुझे जिंदगी, मेरी आया ही क्यों था

मीठी बातें बनके अपना, तूने मुझे सुनाया ही क्यों था

हरा भरा दिल मेरा रह गया सूखे रेगिस्तान की तरह।


मालूम न था तुझसा हसीन भी कोई इस दुनिया में

रास्ते नजर उतर जायेगा, वो एक दिन मेरे हिया में

याद आते चंद लम्हे, गुजर गया तेरी जुबान की तरह।


कभी सोचा न था, एक दिन मुझसे मुंह मोड़ लेगा वो

बीच सफर दरिया कश्ती, मेरी पतवार छोड़े देगा वो

दिखा के गुलों सपना, गया मुझे गुलिस्तान की तरह।


ये सपना था या अपना बन, दौलतें दिल मेरा लूटा था

चट्टानों जैसा दिल, एक ही झटके उसके मेरा टूटा था

दे दिलासा छोड़ा प्यासा, बिक गया वो दुकान की तरह।


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