जरूरी है.....
जरूरी है.....
इश्क लिखने के लिए तुम्हें इश्क होना जरूरी है,
किसी को पाने के लिए खुद को खोना जरूरी है।
मैंने खोया था खुद को उसकी मोहब्बत के लिए,
ये जज़्बा-ए-इश्क़ खुदा की इबादत-सा जरूरी है।
फ़ासला लम्हों का हो या सदियों का हो इंतजार,
वो दूर होकर भी पास है यकीन-ए-वफ़ा जरूरी है।
ज़िन्दगी दिखला रही है फिर दहशत भरे कुछ चेहरे,
दिल को साफ़ रखना किसी आईने-सा जरूरी है।
इश्क़, मोहब्बत, चाहत की खुशनुमा वादियों में,
वो चंचल मलय के कोमल आलिंगन-सा जरूरी है।
उसकी ज़िद सिर्फ़ मैं और वो मेरी तमाम ज़िदों-सा,
मेरी ज़िन्दगी की साँसों की रहगुज़र-सा जरूरी है।
वो साथी है हमसफ़र है दिल को तसल्ली है “मीन”
उसका साथ हर मुश्किल में पतवार-सा जरूरी है।