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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

ज्ञान ज्योति और आजादी

ज्ञान ज्योति और आजादी

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स्वतंत्रता दिवस की हो सबको बधाई

हम सब सच्चे मन से लें यह संकल्प।

किसी की आजादी को करें जो बाधित

कभी नहीं हम चुनेंगे ऐसा कोई विकल्प।


हर एक को उतनी ही प्यारी है आजादी

जितनी हमको अपनी आजादी प्यारी है।

सबकी आजादी सदा ही रहे सुरक्षित यह

हम सबकी ही एक सामूहिक जिम्मेदारी है।


वर्ष तिहत्तर बीत चुके हैं अपने शासन के

पर अपेक्षित आजादी तो अभी अधूरी है।

समानता का लक्ष्य क्यों हो सका न हासिल

नियोजन की त्रुटि या कुछ दूसरी मजबूरी है।


कहीं पर तो संसाधनों का होता है अपव्यय

जिनके लिए कुछ जरूरत

मंद सदा तरसते हैं।

अनजान हैं निज अधिकारों के प्रति वे सदा से

ज्ञान-चिंगारी को दबाने मुफ्ती के मेघ बरसते हैं।


हर मानव है बन्धु हमारा-सारा जग अपना परिवार है

देश की गरिमा सबसे प्यारी -जान से भी ज्यादा प्यार है।

आपस में मत कोई लड़ा दे - हमको रहना होशियार है

सौहार्द और बंधुत्व अक्षुण्ण रहे रखना ऐसा व्यवहार है।


तुष्टीकरण से बने आलसी- निज शक्ति न पहचान सके

 भ्रम में फंस दुश्मन बन गए -अपने ही भाई की जान के।

अज्ञान का तम हरने को -निज ज्ञान की ज्योति जलानी है 

दे सबका साथ करना है विकास -सच्ची आजादी पानी है।


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