जलील करता हूं
जलील करता हूं
हां मैं जलील करता हूं,
उसे वापस चाहता हूं
मगर उसे जलील कर
मैं और जलील होता हूं।
क्योंकि वो हद से ज्यादा
रुह का प्यार समझती है
और मैं रिश्ता समझता हूं
सुबह शाम उसकी याद आती
मगर वो मेरी गल कभी न आती
वो बेवफा रुह की दीवानी है
न कभी प्यार न रिश्ते निभाती।
