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Hemant Kumar Saxena

Abstract Action

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Hemant Kumar Saxena

Abstract Action

जल जीवन की वाणी हूं

जल जीवन की वाणी हूं

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मुझ बिन जीवन औंधा सोए, मैं प्रकाशित करता हूं,

जल जीवन की वाणी हूं, मैं परिभाषित करता हूं,


मुझे बचा लो खोने से, धरा को बंजर होने से,

तृषा पंछी के रोने से, कहीं दुनिया के कोने से,


सूखी हुई नहरों में, तपते हवा के पहरों से,

प्यासी प्यासी सी झीलों में, बसते हुए शहरों से,


बे वजह के फैलने से, नालीयों में टहलने से,

गंगा मंझली होने से, सूखे नालों के दहलने से


जानवरों के रोने से, उनके भूखा सोने से,

कहीं प्यासा ना सोए कोई, बचा दुनिया भिगोने से,


कहीं पवित्र होते हुए, मुझे अपवित्र होने से,

जल को बचाओ ए इंसान, दुनिया के कोने से,


कुंओं को मिटने से, झरनों को रुकने से,

झीलों के सूखने से, उन्हें मीलों ढूंढने से,


मुझे बचा लो खोने से, धरा को बंजर होने से,

तृषा पंछी के रोने से, कहीं दुनिया के कोने से,


मुझ बिन जीवन औंधा सोए, मैं प्रकाशित करता हूं,

जल जीवन की वाणी हूं, मैं परिभाषित करता हूं,


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