अचानक खड़ी हो निकलती है जब आँखों में लज्जा की सृष्टि लिए अचानक खड़ी हो निकलती है जब आँखों में लज्जा की सृष्टि लिए
बुरी नजर से देखा जाता है। बुरी नजर से देखा जाता है।
एक अपवित्र देह से,हे पुरुष! तुम पवित्र कैसे पैदा हो गए? तुम्हें जन्म देते ही, तुम्हा एक अपवित्र देह से,हे पुरुष! तुम पवित्र कैसे पैदा हो गए? तुम्हें जन्म देते ...
आज थोड़ा भारी, कल तक हल्का था बहता। आज थोड़ा भारी, कल तक हल्का था बहता।
क्या उनकी आजादी को घूंघटों, बुर्के हिजाबों में नहीं बांधा जाता क्या उनको मोहब्बत करने की पाबं... क्या उनकी आजादी को घूंघटों, बुर्के हिजाबों में नहीं बांधा जाता क्या उनको ...
आज फिर एक सीता कलंकित हो गई! आज फिर एक सीता कलंकित हो गई!