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Vinita Rahurikar

Tragedy

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Vinita Rahurikar

Tragedy

जख्म

जख्म

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एक क्षण में जब

दहल गयी दुनिया

मौत को भी

पता नहीं चला होगा।


कि उसके अनजाने ही

किसने इतनी क्रूरता से

ये खेल खेला...


कितने अबोध चेहरे

जीवन भर के लिए

स्तब्ध रह गए

छिन गया बुढ़ापे का सहारा।


कलाइयों की चूड़ियाँ

टुकड़े-टुकड़े हो गई

देश के दिल पर

ऐसा जख्म लगा है,


तुम्हारे जाने से

जो कभी भर नहीं सकता....।


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