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Rishab K.

Romance Inspirational

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Rishab K.

Romance Inspirational

जज़्बात

जज़्बात

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मुझे तो लगता है मेरे साथ हो तुम,

मेरे अल्फाज़ हो , मेरे बयानात हो तुम।

या यूं कहूं तो मेरे जज़्बात हो तुम।।

सुबह की दिनकर, शाम की निशिधर हो तुम,

मेरे हृदय परबत की गिरिधर हो तुम,

मेरे लिए फज्र भी तुम, जोहर भी तुम और ईसा भी तुम,

मेरे रूह की आयत भी हो तुम।

या यूं कहूं तो मेरे जज़्बात हो तुम।।

आसमान की तरह निर्मल, दरिया की तरह चंचल हो तुम,

जिसकी कल्पना की कोई अंत नहीं, ऐसी अटकल हो तुम,

मेरे लिए इज्जत भी तुम, शिद्दत भी तुम और आदत हो तुम।

या यूं कहूं तो मेरे जज़्बात हो तुम।।

या यूं कहूं तो मेरे जज़्बात हो तुम।।


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