Dinesh Yadav
Classics Inspirational
मेरे गांव जैसे रिश्ते कभी
इन शहरों में नहीं मिलते।
शहरों की तरह मेरे गांव में
कभी जज़्बात नहीं बिकते।
मेरा क्या था ...
बेटियां
छलावा
मजदूर दिवस
कोरोना को हरा...
वक्त
गरीबी
हे!पथ इनको दर...
प्रदूषण
जज़्बात
उसे भला बाबुल का आँगन अब कहाँ सुहाता है ! उसे भला बाबुल का आँगन अब कहाँ सुहाता है !
आखिर, जीत की परिभाषा क्या ? हार–जीत के मायने हैं क्या। आखिर, जीत की परिभाषा क्या ? हार–जीत के मायने हैं क्या।
ना ठोह कुछ ख़ुद कि ख़बर नहीं कब आयेगा अंतकाल ! ना ठोह कुछ ख़ुद कि ख़बर नहीं कब आयेगा अंतकाल !
लगता है हम भूल रहे हैं, चलो देेखते हैं, चलो देखते हैं।। लगता है हम भूल रहे हैं, चलो देेखते हैं, चलो देखते हैं।।
अपनी इसी पावन धरा पे, धर्म का संचार हो। अपनी इसी पावन धरा पे, धर्म का संचार हो।
तोड़ दें बेड़ियां भेद जो हैं बनातीं, शुरू कर निभाएं मानवीय परंपराएं। तोड़ दें बेड़ियां भेद जो हैं बनातीं, शुरू कर निभाएं मानवीय परंपराएं।
अब मैं एकांत चाहता हूं खुद को तलाशना चाहता हूं। अब मैं एकांत चाहता हूं खुद को तलाशना चाहता हूं।
रोज़ ही तो तुझे लिखती हूँ तुझे में पन्नों पर फिर क्यूँ तू रोज़ याद आता है। रोज़ ही तो तुझे लिखती हूँ तुझे में पन्नों पर फिर क्यूँ तू रोज़ याद आता है।
दिल में पोशीदा तेरे नाम दिखाया नहींं करते। दिल में पोशीदा तेरे नाम दिखाया नहींं करते।
आनंद बहुत दिल में भर देता। प्रफुल्लित सारा जीवन कर देता। आनंद बहुत दिल में भर देता। प्रफुल्लित सारा जीवन कर देता।
स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन, लता के रूप में खोया है आज एक रतन। स्तब्ध मां भारती की आज है धरा एवं गगन, लता के रूप में खोया है आज एक रतन।
भूमिजा पुनः भूमि में समा गयी कैसी थी ये माया।। भूमिजा पुनः भूमि में समा गयी कैसी थी ये माया।।
सबसे सुंदर दिन होता,बसंत पंचमी कहलाता। सबसे सुंदर दिन होता,बसंत पंचमी कहलाता।
तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है। तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है।
नफरत भरने न कोई दिल मेें इंसान को इंसान तो होने दे नफरत भरने न कोई दिल मेें इंसान को इंसान तो होने दे
सादगी से बड़ा स्त्री के लिए कोई श्रृंगार नहीं, क्योंकि श्रृंगार किसी उपमा का मोहताज नह सादगी से बड़ा स्त्री के लिए कोई श्रृंगार नहीं, क्योंकि श्रृंगार किसी उपमा का ...
नज़र भरकर देख लेने दो अविस्मरणीय इस नज़ारे को। नज़र भरकर देख लेने दो अविस्मरणीय इस नज़ारे को।
खड़ा जहाँ हूँ आज हम सभी अभी जहाँ इन मित्रता ने है वह मुकाम दिलाई।। खड़ा जहाँ हूँ आज हम सभी अभी जहाँ इन मित्रता ने है वह मुकाम दिलाई।।
दो कदम ही सही तुम भी, मेरे संग चल कर देख लो ।। दो कदम ही सही तुम भी, मेरे संग चल कर देख लो ।।
हम सँभल गए ,पता नहीं है आजकल।। पर ये भी कोई ख़ता नहीं है आजकल।। हम सँभल गए ,पता नहीं है आजकल।। पर ये भी कोई ख़ता नहीं है आजकल।।