गरीबी
गरीबी
हर गरीब का खून मीठा होता है,
परिस्थितियों से तला भुना होता है,
खूब जमकर लुत्फ उठावो इसका
वह कहां कभी खफां होता है!
चमड़ियां सिकुड़ गई हैं झुर्रियों में,
नसें दब गई हैं पसलियों में,
हड्डियां लटक रही हैं हाथों में,
अजीब सी हलचल है सांसों में,
फिर भी वह कहां रूठा हैं!
वह भी देशभक्ति के गीत गाता है,
श्रद्धा में वह भी शीश झुकाता है
भारत माता के जयकारे लगाता है
मंदिर-मस्जिद में शीश नवाता है
वह अपने नसीब पे कब पछताता है !
