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Dinesh Yadav

Abstract

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Dinesh Yadav

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मजदूर दिवस

मजदूर दिवस

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तुझको तेरा दिवस मुबारक साहब !

मुझको तो मजदूरी,

 कैसे दिवस मनाएं

हम यहां रोटी की मजबूरी।


सिर से टपका सीकर 

मेरे पांव को धो जाता है

हाथों में मेरे लकीरों की जगह

बस घाव का नजर आता है 

पत्थर तोड़ते,और उसके नीचे दब जाते हैं

 नहर खोदते और उसकी जल-धारों में बह जाते हैं 

सड़क बनाते हुए दुर्घटनाओं में मर जाते हैं


गंदी नालियों में घुसकर 

अपने प्राण गंवाते हैं।

कैसे दिवस मनाएं साहब ?

चोरी करने वाला आज चैन की नींद सोता है,

मेहनत करने वाला आज अपने नसीब पर रोता है।


मैं सच्चा बेटा हूं भारत मां का लोग ऐसा बतलाते हैं,

सुना है मेरे नाम पर एक मई दिवस भी मनाते हैं।


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