हे!पथ इनको दर्द न देना
हे!पथ इनको दर्द न देना


हे पथ ! इनको दर्द न देना
रज-कण को मरहम कर देना
राहों में चलते चलते
भूख प्यास सहते सहते
गरमी से झुलसे झुलसे
हिम्मत से हुलसे हुलसे
एक पल चलते
एक पल रुकते
डगमग डगमग चलते
पग भरते
चलते चलते थम जाते हैं
उठकर अगले पल
फिर से क़दम बढ़ाते हैं
हे तरूवर झुककर तुम
पथ पर थोड़ी छाया कर देना।
हे पथ ! इनको दर्द न देना
रज-कण को मरहम कर देना
सांसों का एक छोर पकड़ कर
हिम्मत की एक डोर पकड़ कर
भूख प्यास से लड़-लड़कर
सर्दी गर्मी से होकर निडर
प्रकृति के निष्ठुर प्रकोप को
चुपचाप सहते जाते हैं
कदम कदम रखकर
राहों में बढ़ते जाते हैं
हे! नभ-नायक तपिश से अपनी
कुछ पल की राहत दे देना।
हे पथ ! इनको दर्द न देना
रज-कण को मरहम कर देना।
मां की गोद से लिपटा
यह बालक सहमा सहमा
कभी देखता
कभी वह रोता
कभी क्षीर तो
कभी नीर
के लिए तड़पता रहता
पथ पर बढ़ता रहता
हे वारिद नभ में आकर
तुम कुछ बूंदें बरसा देना
प्यास बुझे इस बालक की
कुछ ऐसा कर देना।
हे पथ ! इनको दर्द न देना
रज-कण को मरहम कर देना।