Dinesh Yadav
Tragedy
क्यूं हर बार
हम मजदूरों के साथ ही ऐसा होता है,
हम मांगते हैं कुछ और
बदले में कोरा भाषण ही मिलता है।
हमारी आवाज क्यूं हर बार
किसी कोने में दब जाती है
हमारे नसीब की रोटी
क्यूं चूल्हे में ही जल जाती है।
मेरा क्या था ...
बेटियां
छलावा
मजदूर दिवस
कोरोना को हरा...
वक्त
गरीबी
हे!पथ इनको दर...
प्रदूषण
जज़्बात
सोने के पिजरे की चमक की चुभन! सोने के पिजरे की चमक की चुभन!
भूल गए जनसेवक जनता को, और जनता कंगाल हो गयी। भूल गए जनसेवक जनता को, और जनता कंगाल हो गयी।
पुरुष का आंसू होता बड़ा कीमती है ये आंसू होता सीप का एक मोती है उसे रोना आता है भले कभी-कभार, पर अ... पुरुष का आंसू होता बड़ा कीमती है ये आंसू होता सीप का एक मोती है उसे रोना आता है...
आपके आगमन की ख़बर सुनकर मौत को भी डर लगने लगा है आपके आगमन की ख़बर सुनकर मौत को भी डर लगने लगा है
उदारता खो गई है कहीं, धोखे का बाज़ार है लगाता, उदारता खो गई है कहीं, धोखे का बाज़ार है लगाता,
कभी नाम मेरा भी लिया करो कभी ऐसा भी तो हो। कभी नाम मेरा भी लिया करो कभी ऐसा भी तो हो।
यह कैसी बंदिशे यह कैसी रिवायतें सांस को रोकती है तमाम तरह की बातें। यह कैसी बंदिशे यह कैसी रिवायतें सांस को रोकती है तमाम तरह की बातें।
क्या खता हुई है ऐ प्रकृति, सारी रौनक चली गयी। क्या खता हुई है ऐ प्रकृति, सारी रौनक चली गयी।
आदमी औरत की अस्मत को जब लूटता है पूरा समाज अपनी आबरू को तब खोता है! आदमी औरत की अस्मत को जब लूटता है पूरा समाज अपनी आबरू को तब खोता है!
ना सोचा ना समझा खुद को तन्हाइयों में कैद कर लिया। ना सोचा ना समझा खुद को तन्हाइयों में कैद कर लिया।
मन था कि बस कहता आपस में करते रहे बात लेकिन समाज जाति का डर था पर्याप्त मन था कि बस कहता आपस में करते रहे बात लेकिन समाज जाति का डर था पर्याप्त
मेरी हर साँस के साथ चलती तो हो बस ख्वाहिशों को अपनाती नहीं हो मेरी हर साँस के साथ चलती तो हो बस ख्वाहिशों को अपनाती नहीं हो
बंद पलकों के मौन को पड़े रहने दो बंद पलकों के मौन को पड़े रहने दो
आर्द्र नेत्र निहारे आर्द्र नेत्र निहारे
मेरा शहर डूब गया है दहशत में लाशें बिखरी हुई हैं पर जनाजा नहीं मिलता। मेरा शहर डूब गया है दहशत में लाशें बिखरी हुई हैं पर जनाजा नहीं मिलता।
जितना रंग भरो इसमें दूजे पल ही उड़ता है । जितना रंग भरो इसमें दूजे पल ही उड़ता है ।
उठी हुंकार मन मे ऐसी विद्रोह की, जैसे द्रोपती के चीरहरण की पुकार-सी! उठी हुंकार मन मे ऐसी विद्रोह की, जैसे द्रोपती के चीरहरण की पुकार-सी!
अब ढूंढता हूँ उस खुशी को फेसबुक व्हाट्सप ट्विटरी मोबाईल गलियों में मगर जी ना भरता! अब ढूंढता हूँ उस खुशी को फेसबुक व्हाट्सप ट्विटरी मोबाईल गलियों में मगर जी ना ...
हाथ में उसके एक ख्वाब पकङाया, इन सब को खुश रखने का जिम्मा बताया। दिल उसका इन सब पे आया, लेकिन शैत... हाथ में उसके एक ख्वाब पकङाया, इन सब को खुश रखने का जिम्मा बताया। दिल उसका इन स...
जब मैं बीमार होता हूँ तो तुम्हारा सारा प्यार मिलता है। जब मैं बीमार होता हूँ तो तुम्हारा सारा प्यार मिलता है।