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Dinesh Yadav

Tragedy

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Dinesh Yadav

Tragedy

छलावा

छलावा

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क्यूं हर बार

हम मजदूरों के साथ ही ऐसा होता है,

हम मांगते हैं कुछ और

बदले में कोरा भाषण ही मिलता है।

हमारी आवाज क्यूं हर बार

किसी कोने में दब जाती है

हमारे नसीब की रोटी

क्यूं चूल्हे में ही जल जाती है।


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