जिस दिन कह दूँ कि प्यार. नहीं
जिस दिन कह दूँ कि प्यार. नहीं
जिस दिन कह दूँ कि प्यार नहीं ,उस दिन मुझे तुमभूल जाना ।
मेरे सांसो के अंतिम तार हो तुम
गगन तक फैला संसार हो तुम।
तुम बिन गगन का छोर नहीं।
जिस दिन कह दूँ कि प्यार नहीं----
फूल में जैसे खुशबू है रहती,
जीवन के कण-कण में रहते हो तुम।
तुम बिन उपवन का सम्मान नहीं।
जिस दिन कह दूँ
मेरे जीवन के सूरज -चाँद हो तुम।
नभ में रोशन तारे हो तुम।
तुम बिन जीवन में प्रकाश नहीं।
जिस दिन---
नदियों का अद्भभुत कल-कल हो तुम।
मेरे जीवन का झरना हो तुम
तुम बिन जीवन का संगम नहीं
जिस दिन---
सावन की महकी रातें हो तुम।
सपनों के दुनिया में अपने हो तुम।
तुम बिन जीवन की धूप-छाँव नहीं।
जिस दिन---
पक्षी ये बादल हवा के झोंके हो तुम।
जीवन के मेरे सरस बंधन हो तुम।
तुम बिन जीवन का आधार नहीं।
जिस दिन कह दूँ-----
