आओ प्रभु का गुणगान करें
आओ प्रभु का गुणगान करें
आओ उस प्रभु का गुणगान करें
दिया जिसने प्रकाश सूर्य को, और चाँद को शीतल करें।
भिन्न -भिन्न पशु -पक्षी और और उनकी आवाज भिन्न करें।
आओ---
ऊँचे -ऊँचे पर्वत दिये और घाटियाँ गहरी करें।
समतल भूमि है जहाँ गंगा, यमुना, सरस्वती मिलन करें।
आओ---
गर्मी, सर्दी, बरसाते दी हैं और बसंत प्रदान करें।
भाँति-भाँति के प्राणी बनाकर उनको जीवन प्रदान करें।
आओ----
फूलों में दी सुगंधि, वायु से श्वास चले।
नभ के घन गरज-बरसकर ताल,तलैया, नदी भरें।
आओ-----
नयनों में दिया प्रकाश, नासिका घ्राण शक्ति परे।
जिह्वा रसना को मुख भोजन ग्रहण करें।
आओ---
दया भावना दी हृदय में और उसमें भी क्रोध भरें। अंग -अंग बनाया कांतिमय, कर्म करण को स्वतंत्र करें।
आओ---
कलाकारी अति भारी, मुख न जिसका वर्णन करें
युगों -युगों के हस्त चिह्न भी न किसी से मेल करें।
आओ--़-
दोभुज कर्म करने को, पद मार्ग प्रशस्त करें।
बुद्धि, विद्या यश, बल भी वह ईश प्रदान करें।
आओ उस प्रभु----
