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Keyurika gangwar

Abstract Classics Inspirational

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Keyurika gangwar

Abstract Classics Inspirational

सावन मधुमासी

सावन मधुमासी

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सावन मधुमासी है, प्रेम राग का साथी है।

भूले बिछड़े यादों का सावन ही तो संगम है,।
 कहाँ गया वो बचपन, जब राग-द्वेष भी हारा था।
 कहाँ है वो झूला जिस पर कभी मैं झूली थी।
सखियों संग हाथों में रची जो मेरी मेंहदी थी।
माँ संग बनी पूड़ी - कचौड़ी, भाभी संग हँसी ठिठोली थी।
कहाँ गये वो दिन मैं चाची लड्डू छीनी थी।
 नानी को वो बुलवाना, मामा का घर आ जाना।
प्रेम बरसता नेह आँखों में, होठों पर खुशियाँ रखी थी। कहाँ गये सावन गीत, जिनमें हिल-मिल बतियाँ थी। रिमझिम -रिमझिम बरसा और कारे-कारे बदरा थे। भीगों के तन-मन बरसा में हर -घर प्रेम को बाँटा था। कहाँ गयी वो बूँदा-बांदी जिनको हमने निहारा था।


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