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Keyurika gangwar

Abstract Classics Inspirational

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Keyurika gangwar

Abstract Classics Inspirational

सूर-सूर नक्षत्र के

सूर-सूर नक्षत्र के

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सूर -सूर नक्षत्र के और गगन के सिरमौर हैं।
कृष्ण लीलाएँ विरचित कवियों के पथ प्रर्दशक हैं।१
पूतना वध सह वकसंहार और कलिया मर्दन तक गाई कृष्ण महिमा अपरंपार है।.
कृष्ण प्रेमी के सिरमौर तुुम हो।२
वो ग्वाले संग वन में धेनु चरण चित्रण हो या राधिका ,सखियों संग परिहास, जन मानस के मन में जगाया विश्वास।
समस्त विश्व के विश्वास का आधार रूप तुम हो।३
प्रेम रूप अतुल्य सूर का वियोग पूरक बना संयोग का।
प्रेम प्रतीक गाते अधर के स्वरूप तुम हो।4
नवनीत सना आनन हो या बाँसुरी धरे अधर हो।
 रासरंग हो या दिखलाया मुख में ब्रम्हाण्ड हो वात्सल्य के केवल तुम ही सम्राट हो।5
पुत्र हो यसोदा के या प्रेमी राधा प्यारी के। सखा अंनत सुदामा के हो या अर्जुन के।
 रहे प्यारे- न्यारे दोनों के।
 भाव वंचन के सखा केवल तुम हो।6
 कुमकुम गंगवार


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