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Keyurika gangwar

Abstract Classics Inspirational

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Keyurika gangwar

Abstract Classics Inspirational

गोबर गणेश

गोबर गणेश

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गोबर गनेश बनाये री सखी, लड्डूवन को भोग लगावै।
 हँसि-हँसि थाल सजावत, मोदक री उन्हें चढावै।1
 धूप -दीप सम्मुख दिखावे, आरती री शुभ गावै।
 विधि का विधान गनेश, शुभ कारज साजै।2
 पहले- पहल पूजे जाये री सखी , कारज सफल बनावै। बिगड़ी बनी है सबन की, नित सुख लावै।3
 लाज बचाबै दीनन की सखी, पल में भाग्य पलटावै। पधारों घर में गनेश जी, रिद्धि-सिद्धि संग लावै।4
 सुख-समृद्धि हो घर- घर, सब अति हरषावै।
देव -मनुज सब हरष,पुष्प अम्बर से बरसावै। 5
 शुभ-लाभ संग आये, जन-मन हरषाये।
नूतन वस्त्र पहराओं री, सब मंगल भजन गाये।6
 नमन करों गनेश को जी, सब करै जिन्हें पसंद।
 गनेश छवि उर धर लेयो री, आँखियन कर लेयो बंद।7


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