गोबर गणेश
गोबर गणेश
गोबर गनेश बनाये री सखी, लड्डूवन को भोग लगावै।
हँसि-हँसि थाल सजावत, मोदक री उन्हें चढावै।1
धूप -दीप सम्मुख दिखावे, आरती री शुभ गावै।
विधि का विधान गनेश, शुभ कारज साजै।2
पहले- पहल पूजे जाये री सखी , कारज सफल बनावै।
बिगड़ी बनी है सबन की, नित सुख लावै।3
लाज बचाबै दीनन की सखी, पल में भाग्य पलटावै।
पधारों घर में गनेश जी, रिद्धि-सिद्धि संग लावै।4
सुख-समृद्धि हो घर- घर, सब अति हरषावै।
देव -मनुज सब हरष,पुष्प अम्बर से बरसावै। 5
शुभ-लाभ संग आये, जन-मन हरषाये।
नूतन वस्त्र पहराओं री, सब मंगल भजन गाये।6
नमन करों गनेश को जी, सब करै जिन्हें पसंद।
गनेश छवि उर धर लेयो री, आँखियन कर लेयो बंद।7
