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Keyurika gangwar

Abstract Classics

4  

Keyurika gangwar

Abstract Classics

होली

होली

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होली के नये -नये रंग देखें।।
 बूढ़ो के खिलते चेहरे देखें।
 शाम को तन्हा घर आँगन देखें।।
सवेरे बच्चों का शोर देखें।
 बेटे संग बहुओं के उनका प्रेम और विश्वास देखें।
 पानी के रंग बंद हुए उड़तै हरे, पीले, लाल,गुलाबी गुलाल देखें।
गुझियों की भरी मिठास देखें।
घर-घर प्रेम पकी चाशनी देखें।
 खुशियाँ छाई स्रियों के मुख मंडल पर।
 हाथ सजते कंगन ,चूड़ी देखें।
 प्रेम बिखरा घर-घर में, ऐसी मनमोहनी अबकी होली देखें। आना जाना अब तो कम है फिर भी मिलते नये पुराने मित्र देखें।।
 बंद दरवाजे के पीछे भाभी की अनबन बिच सासु माँ के छूते पैर देखें।
 मन हर्षाया ,हुलसाया है इन सबके बीच मिलते गले भाई -बंधु देखे।
होली प्रेम बिखरा घर-घर में, ऐसी मनमोहनी अबकी होली देखें।


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