जिंन्दगी की डोर
जिंन्दगी की डोर
जिंन्दगी की डोर बहुत अजीब है
कल यहाँ तो परसो कहाँ
जिंन्दगी किसी के जाने के बाद भी
चलती रहती है।
बस रह जाते हैं
कुछ पल और कुछ लम्हे
जिन्हें हमने साथ में बिताए थे।
और रह जाती है यादें
जो हमें अपनों की
याद दिलाती है।
कुछ पल जो हमने
अपने दोस्तों या परिवार के
साथ बिताए थे।
जी लो अपनी जिंन्दगी खुल के
क्यूँ की रह न जाए
सिर्फ़ यादें,
जो बीते लम्हों की
याद दिलाते हैं।।
