जिनकी माँ नहीं होती है
जिनकी माँ नहीं होती है
जिनकी माँ नहीं होती
उन्हें रूठने का कोई
हक होता नहीं
उन्हें कोई
मनाता ही नहीं
उनके लिये
कोई आँसू
बहाता ही नहीं
सब उनके ही
आँसू बहाते हैं
उन्हें कोई
गले से लगाता
ही नहीं
सब डांटते ही
रहते है ताने देते है
जैसे माँ के
दुनिया से जाने
के बाद वो
इंसान नहीं
कोई बेजान
गुड़िया हो
जिसे कुछ भी कहो
कोई फर्क पड़ता है नहीं
माँ के दुनिया से
जाने के बाद
इंसान तो रहता है
पर सारे एहसास
मर जाते है
जिंदगी एक बोझ
बन जाती है
जिसे आखिरी साँस
तक ढोना
मजबूरी हो जाती है
