जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी, जैसा हम चाहते हैं
वैसा देती है हमें
वो तो सागर के तरह
किसी के कर्जदार नहीं रहता
जो भी हम उसे देते हैं
फौरन वो लौटा ही देती है
यानी प्यार देते हैं तो प्यार
नफरत देते तो नफरत
बिलकुल जैसे हम हैं
हमारी सोच और विचार
वैसे ही सब कुछ मिलता है हमें
जिंदगी एक साधना है
ब्रह्म मिलन की
प्रिया की आंखों में
खुद को
फिर ईश्वर को देखने की
प्यार का बंधन में
मुक्ति का अहसास पाने की।