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LALIT MOHAN DASH

Abstract Crime

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LALIT MOHAN DASH

Abstract Crime

आंधी आती है

आंधी आती है

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उम्मीदों का सैलाब लेकर

वादों का पिटारा खोले

पढ़े-लिखों के सपनों में

तैरती है

सरकारी नौकरियां!


हवाएँ बहती जाती है

उड़ा ले जाती है

सारे सपने ,

सारी उम्मीदें!


उन्हीं हवाओं में,

 हवा हो जाते है

सारे वादे कि

पांच साल बाद

फिर आंधी आती है "सागर"।



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